मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

itne din na likh paane kaa malaal

पिछले माह की १२ तारीख के बाद आज फरवरी की ८ तारीख को लिखने का प्रयास कर रहा हूँ. कई छोटी मोटी दिक्कतें पेश आ रहीं हैं, फिर भी कोशिश बदस्तूर जारी है. देखना है कि कहाँ तक सफल हो पाता हूँ.
इन दिनों येहाँ का मौसम बड़ा बदला बदला सा लगता है. शाम और रात सर्द होती हैं और दिन गर्म. आम तौर पर मकर संक्रांति के बाद धीरे धीरे ठण्ड कम होने लगती है और फरवरी तक ऋतुराज वसंत दस्तक देने लगता है.शायद इस साल कुछ बदलाव हुआ है.
होली पास है फिर भी होली कि तैयारियों का कोई अतापता नहीं है. गली मोहल्लों में बच्चों कि चहलपहल दिख नहीं रही है. बच्चे वक्त से पहले संजीदा हो गए हैं .जवान होली की धमाचौकड़ी की जगह शहर के माल्स और दुकानों में गिफ्ट्स और कार्ड्स और सुर्ख गुलाबों की खोज में लगे हुए हैं. होली के लिए लकडियाँ जमा करने ,नगाड़े बजाने इत्यादि पुराने जमाने की बातें हो गयी लगती हैं.
वक्त ने किया, क्या हसीं सितम........
यह बदलाव कैसा है? अच्छा या बुरा, पता नहीं.
आज इतना ही.

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