सोमवार, 14 दिसंबर 2009

12/12/2009

दिसंबर की  बारह तारीख है.बारहवें माह की बारह तारीख याने इस साल की अंतिम बारह तारीख इस के बाद की बारह तारिख अगले वर्ष की जनवरी में आयेगी.तब यह साल पिछला साल हो जाएगा.
लगता है कि समय रेत की तरह मुट्ठी से फिसल रहा है. जो फिसल कर गिर गया वह पल, वह दिन,वह माह,वह साल.....कभी लौट कर न आने के लिए चला गया......इतिहास बन गया.जब से पृथ्वी ने लट्टू की तरह अपनी तिरछी धुरी पर घूमते हुए सूर्य की परिक्रमा प्रारंभ की तभी से यह चल रहा है.
परन्तु क्या सिर्फ यही हुआ है अब तक? नहीं ऐसा नहीं है.और भी बहुत कुछ हुआ है.विभिन्न प्राणियों की रचना हुई उनका विकास हुआ ,उनमें कई बदलाव हुए तब कहीं जा कर मानव  बना.
और अपने बनने से अब तक मानव ने भी कितनी प्रगति की है हर क्षेत्र में.वैदिक युग से आज तक आध्यात्म ,कला, विज्ञान, कृषि इत्यादि में बड़े बड़े काम हुए हैं और यह सतत प्रक्रिया है.प्रति क्षण नया घटित हो रहा है.
आनेवाला कल आज से बेहतर बनाने में सभी जुटे हैं.चन्द्र यान १ का साल पूरा हो रहा है.अगले साल के लिए क्या सोच रहे हो बंधू?
आज इतना ही.

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